At an event at the Jinnah Institute, it was said that:
1. Text of the PM’s statement to media in the Joint Press Briefing with Prime Minister of Bangladesh
Pakistan does not feature there.
2. Text of PM’s acceptance speech at the conferment of Bangladesh liberation war honour on Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee
The text is in Hindi. But the video is there, Urdu speakers can understand most of it. Certainly there is mention of the Bangladesh war of liberation; but there is no mention of whom it was fought against.
We now come to
3. Text of PM’s address at Bangabandhu Convention Centre This too is in Hindi.
"हम Asian countries आज भी दुनिया के कुछ देशों में महिला के प्रमुख के रूप में स्वीकार करने की मानसिकता कम है, ये भू-भाग दुनिया में ऐसा है कि जहां पर नारी को राष्ट्र का नेतृत्व करने का अवसर बार-बार मिला है। चाहे हिंदुस्तान हो, बांग्लादेश हो, पाकिस्तान हो, इंडोनेशिया हो, आयरलैंड हो। अब देखिए इस भू-भाग में श्रीलंका, ये विशेषता है हमारी लेकिन फिर भी हम कहीं और होते तो दुनिया में जय-जयकार होता लेकिन हम गरीब हैं, हम पिछड़े हैं, कोई हमारी ओर देखने को तैयार नहीं, हम सम्मान से, गर्व से खड़े हो कि दुनिया को दिखाने के लिए हमारे पास ये ताकत है, दुनिया को मानना पड़ेगा कि women empowerment में भी हम दुनिया से कम नहीं हैं।"
Here he is talking about women's empowerment and that Pakistan, India, Bangladesh, etc. have had women leading the nation.
This is the second mention:
और इतिहास देखिए 90 हजार जिन लोगों ने बांग्लादेश के नागरिकों पर जुल्म किया था, ऐसे 90 हजार सेना को आत्मसमर्पण के लिए भारत की सेना ने मजबूर किया था। आप कल्पना कर सकते हैं जो पाकिस्तान आए दिन हिंदुस्तान को परेशान करता रहता है, नाको दम ला देता है, terrorism को बढ़ावा की घटनाएं घटती रहती है। 90 हजार सैन्य उसके कब्जे में था, अगर विकृत मानसिकता होती तो पता नहीं निर्णय क्या करता। आज एक हवाई जहाज को कोई हाइजैक कर दे न, तो 25, 50, 100 Passenger के बदले में दुनिया भर की मांगे मनवा ले सकता है। भारत के पास 90 हजार सैनिक पाकिस्तान के कब्जे में थे, लेकिन यह हिंदुस्तान का चरित्र देखिए, हिंदुस्तान की सेना का चरित्र देखिए। हमने बांग्लादेश के विकास की चिंता की, बांग्लादेश के स्वाभिमान की चिंता की, बांग्लादेश की धरती का उपयोग हमने पाकिस्तान पर गोलियां चलाने के लिए नहीं किया। हमने बांग्लादेश के स्वाभिमान के लिए, मुक्ति यौद्धाओं के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन उन 90 हजार का blackmail करके पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने के लिए हमने बांग्लादेश की भूमि का उपयोग नहीं किया है। क्यों? हम चाहते थे कि बांग्लादेश बंगबंधू के नेतृत्व में आगे बढ़े, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे। यह हमारा सपना था और इसलिए हमने हमारे सपनों को चूर कर दिया। हमारी मुसीबतों को हमने दफना दिया। और हमने 90 हजार सैनिक वापस दे दिए, 90 हजार सैनिक वापस देने की एकमात्र घटना की ताकत इतनी है कि पूरे विश्व ने भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता कितनी है, विश्व शांति के लिए प्रतिबद्धता कितनी है, इसको नापने के लिए ये एक घटना काफी है और भारत को permanent membership के लिए रास्ते खुल जाने चाहिए. लेकिन मुझे मालूम है गरीब देशों को, developing countries को, हम जैसे इस इलाके में दूर-सदूर पड़े हुए लोगों को मिल बैठकर के लड़ाईय़ां पड़ेंगी। विश्व के रंगमंच पर हम सबको एक ताकत बनकर के उभरना पड़ेगा, हमारी समस्याओं का समाधान करने के लिए हम अपने आप कंधे से कंधा मिलाकर के समस्याओं का समाधान कर सकते हें।
The key part is around minute 50. My rough translation is: NaMo talks about how the world does not pay attention to the poor countries of the world; about how the 70th anniversary of the United Nations is coming up; but how the United Nations has not kept up with the times. Despite contributing a million men to fight in World Wars I & II, despite contributions to peace-keeping forces today, despite every one in six of humanity being Indian, India does not have a permanent seat on the UN Security Council.
NaMo then goes further into India's credentials. He talks about how Indians and Banglas fought together for the liberation of Bangladesh. He says, India forced a surrender of an army of 90,000 of those who had committed crimes against Bangladeshis. You can imagine, India had 90,000 captives of that Pakistan that has been annoying India (परेशान - Google translation is "upset", "disturb", "perturb", "annoy" - the English press used "nuisance"), harasses India (नाकों दम लाता है), incidents of terrorism keep occurring, if India had a perverted (विकृत)mentality, who knows what would have happened? Today if someone hijacks an airplane, in return for 25-50-100 passengers, they bring all kinds of demands. India had in custody 90,000 Pakistani soldiers, but witness the character of Hindustan, of Hindustan's army, we were concerned about Bangladesh's progress, about Bangladesh's self-respect, we did not use Bangla soil to wage war on Pakistan. We fought for the freedom fighters of Bangladesh, not to capture 90,000 Pakistani soldiers and blackmail Pakistan. Why, we wanted Bangladesh to develop, with the leadership of BangaBandhu (Sheikh Mujibur Rehman), to reach new heights, that was our dream, and so we put aside our own issues, put aside our own difficulties and sent the 90,000 soldiers back to Pakistan. This one incident is enough for the world to see how dedicated India is to peace, to world peace; and a permanent seat for India in the Security Council should have opened up. So, we poor countries, we developing countries, have to work together to solve our problems and to make an impact on the world stage.
PS: from speech #2 above, Modi's memory of 1971:
और तीसरी एक बात जो शायद मैंने पहले कभी बताई नहीं है वो मुझे आज बताते हुए जरा गर्व होता है। मैं राजनीतिक जीवन में तो बहुत देर से आय़ा। ’98 के आखिरी-आखिरी काल खंड में आय़ा लेकिन एक नौजवान activist के नाते, एक युवा worker के रूप में जो कि मैं राजनीतिक दल का सदस्य नहीं था, मैं भारतीय जनसंघ का कभी कार्यकर्ता नहीं रहा – लेकिन जब अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ ने बांग्लादेश के निर्माण के समर्थन के लिए एक सत्याग्रह किया और जिसका उल्लेख इस annotation में है, उस सत्याग्रह में एक volunteer के रूप में मैं मेरे गांव से दिल्ली आया था। और जो एक गौरवपूर्ण लड़ाई आप लोग लड़े थे और जिसमें हर भारतीय आपके सपनों को साकार होते देखना चाहता था, उन करोड़ों सपनों में एक मैं भी था, उस समय उन सपनों को देखता था।
and his quote of Modi:
आज मैं इस अत्यंत पवित्र अवसर पर वाजपेयी जी ने 6 दिसंबर 1971 को भारत की संसद में एक विपक्ष के एम.पी. के रूप में जो भाषण दिया था, उसका एक पेराग्राफ मैं पढ़ना चाहता हूं। दीर्घदृष्टा नेतृत्व क्या होता है, यह 6 दिसंबर के 1971 के उनके भाषण से हमें याद कर सकते हैं। उनके भाषण से मैं उनका ही quote बोल रहा हूं – “देर से ही सही बांग्लादेश को मान्यता प्रदान करके, एक सही कदम उठाया गया है। इतिहास को बदलने की प्रक्रिया हमारे सामने चल रही है। और नियति ने इस संसद को, इस देश को ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में रख दिया है जब हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे। बांग्लांदेश की मुक्ति अब निकट आ रही है।“
Indian Prime Minister Narendra Modi’s most recent statements against Pakistan in Bangladesh reflected New Delhi’s new provocative posturing.What did PM NaMo say in Bangladesh? From the published text of the remarks, not much.
1. Text of the PM’s statement to media in the Joint Press Briefing with Prime Minister of Bangladesh
Pakistan does not feature there.
2. Text of PM’s acceptance speech at the conferment of Bangladesh liberation war honour on Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee
The text is in Hindi. But the video is there, Urdu speakers can understand most of it. Certainly there is mention of the Bangladesh war of liberation; but there is no mention of whom it was fought against.
We now come to
3. Text of PM’s address at Bangabandhu Convention Centre This too is in Hindi.
"हम Asian countries आज भी दुनिया के कुछ देशों में महिला के प्रमुख के रूप में स्वीकार करने की मानसिकता कम है, ये भू-भाग दुनिया में ऐसा है कि जहां पर नारी को राष्ट्र का नेतृत्व करने का अवसर बार-बार मिला है। चाहे हिंदुस्तान हो, बांग्लादेश हो, पाकिस्तान हो, इंडोनेशिया हो, आयरलैंड हो। अब देखिए इस भू-भाग में श्रीलंका, ये विशेषता है हमारी लेकिन फिर भी हम कहीं और होते तो दुनिया में जय-जयकार होता लेकिन हम गरीब हैं, हम पिछड़े हैं, कोई हमारी ओर देखने को तैयार नहीं, हम सम्मान से, गर्व से खड़े हो कि दुनिया को दिखाने के लिए हमारे पास ये ताकत है, दुनिया को मानना पड़ेगा कि women empowerment में भी हम दुनिया से कम नहीं हैं।"
Here he is talking about women's empowerment and that Pakistan, India, Bangladesh, etc. have had women leading the nation.
This is the second mention:
और इतिहास देखिए 90 हजार जिन लोगों ने बांग्लादेश के नागरिकों पर जुल्म किया था, ऐसे 90 हजार सेना को आत्मसमर्पण के लिए भारत की सेना ने मजबूर किया था। आप कल्पना कर सकते हैं जो पाकिस्तान आए दिन हिंदुस्तान को परेशान करता रहता है, नाको दम ला देता है, terrorism को बढ़ावा की घटनाएं घटती रहती है। 90 हजार सैन्य उसके कब्जे में था, अगर विकृत मानसिकता होती तो पता नहीं निर्णय क्या करता। आज एक हवाई जहाज को कोई हाइजैक कर दे न, तो 25, 50, 100 Passenger के बदले में दुनिया भर की मांगे मनवा ले सकता है। भारत के पास 90 हजार सैनिक पाकिस्तान के कब्जे में थे, लेकिन यह हिंदुस्तान का चरित्र देखिए, हिंदुस्तान की सेना का चरित्र देखिए। हमने बांग्लादेश के विकास की चिंता की, बांग्लादेश के स्वाभिमान की चिंता की, बांग्लादेश की धरती का उपयोग हमने पाकिस्तान पर गोलियां चलाने के लिए नहीं किया। हमने बांग्लादेश के स्वाभिमान के लिए, मुक्ति यौद्धाओं के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन उन 90 हजार का blackmail करके पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने के लिए हमने बांग्लादेश की भूमि का उपयोग नहीं किया है। क्यों? हम चाहते थे कि बांग्लादेश बंगबंधू के नेतृत्व में आगे बढ़े, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे। यह हमारा सपना था और इसलिए हमने हमारे सपनों को चूर कर दिया। हमारी मुसीबतों को हमने दफना दिया। और हमने 90 हजार सैनिक वापस दे दिए, 90 हजार सैनिक वापस देने की एकमात्र घटना की ताकत इतनी है कि पूरे विश्व ने भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता कितनी है, विश्व शांति के लिए प्रतिबद्धता कितनी है, इसको नापने के लिए ये एक घटना काफी है और भारत को permanent membership के लिए रास्ते खुल जाने चाहिए. लेकिन मुझे मालूम है गरीब देशों को, developing countries को, हम जैसे इस इलाके में दूर-सदूर पड़े हुए लोगों को मिल बैठकर के लड़ाईय़ां पड़ेंगी। विश्व के रंगमंच पर हम सबको एक ताकत बनकर के उभरना पड़ेगा, हमारी समस्याओं का समाधान करने के लिए हम अपने आप कंधे से कंधा मिलाकर के समस्याओं का समाधान कर सकते हें।
The key part is around minute 50. My rough translation is: NaMo talks about how the world does not pay attention to the poor countries of the world; about how the 70th anniversary of the United Nations is coming up; but how the United Nations has not kept up with the times. Despite contributing a million men to fight in World Wars I & II, despite contributions to peace-keeping forces today, despite every one in six of humanity being Indian, India does not have a permanent seat on the UN Security Council.
NaMo then goes further into India's credentials. He talks about how Indians and Banglas fought together for the liberation of Bangladesh. He says, India forced a surrender of an army of 90,000 of those who had committed crimes against Bangladeshis. You can imagine, India had 90,000 captives of that Pakistan that has been annoying India (परेशान - Google translation is "upset", "disturb", "perturb", "annoy" - the English press used "nuisance"), harasses India (नाकों दम लाता है), incidents of terrorism keep occurring, if India had a perverted (विकृत)mentality, who knows what would have happened? Today if someone hijacks an airplane, in return for 25-50-100 passengers, they bring all kinds of demands. India had in custody 90,000 Pakistani soldiers, but witness the character of Hindustan, of Hindustan's army, we were concerned about Bangladesh's progress, about Bangladesh's self-respect, we did not use Bangla soil to wage war on Pakistan. We fought for the freedom fighters of Bangladesh, not to capture 90,000 Pakistani soldiers and blackmail Pakistan. Why, we wanted Bangladesh to develop, with the leadership of BangaBandhu (Sheikh Mujibur Rehman), to reach new heights, that was our dream, and so we put aside our own issues, put aside our own difficulties and sent the 90,000 soldiers back to Pakistan. This one incident is enough for the world to see how dedicated India is to peace, to world peace; and a permanent seat for India in the Security Council should have opened up. So, we poor countries, we developing countries, have to work together to solve our problems and to make an impact on the world stage.
PS: from speech #2 above, Modi's memory of 1971:
और तीसरी एक बात जो शायद मैंने पहले कभी बताई नहीं है वो मुझे आज बताते हुए जरा गर्व होता है। मैं राजनीतिक जीवन में तो बहुत देर से आय़ा। ’98 के आखिरी-आखिरी काल खंड में आय़ा लेकिन एक नौजवान activist के नाते, एक युवा worker के रूप में जो कि मैं राजनीतिक दल का सदस्य नहीं था, मैं भारतीय जनसंघ का कभी कार्यकर्ता नहीं रहा – लेकिन जब अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ ने बांग्लादेश के निर्माण के समर्थन के लिए एक सत्याग्रह किया और जिसका उल्लेख इस annotation में है, उस सत्याग्रह में एक volunteer के रूप में मैं मेरे गांव से दिल्ली आया था। और जो एक गौरवपूर्ण लड़ाई आप लोग लड़े थे और जिसमें हर भारतीय आपके सपनों को साकार होते देखना चाहता था, उन करोड़ों सपनों में एक मैं भी था, उस समय उन सपनों को देखता था।
and his quote of Modi:
आज मैं इस अत्यंत पवित्र अवसर पर वाजपेयी जी ने 6 दिसंबर 1971 को भारत की संसद में एक विपक्ष के एम.पी. के रूप में जो भाषण दिया था, उसका एक पेराग्राफ मैं पढ़ना चाहता हूं। दीर्घदृष्टा नेतृत्व क्या होता है, यह 6 दिसंबर के 1971 के उनके भाषण से हमें याद कर सकते हैं। उनके भाषण से मैं उनका ही quote बोल रहा हूं – “देर से ही सही बांग्लादेश को मान्यता प्रदान करके, एक सही कदम उठाया गया है। इतिहास को बदलने की प्रक्रिया हमारे सामने चल रही है। और नियति ने इस संसद को, इस देश को ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में रख दिया है जब हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, लेकिन हम इतिहास को एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे। बांग्लांदेश की मुक्ति अब निकट आ रही है।“